Hello Guys, आज हम आप लोगों को जामा मस्जिद का इतिहास बताएँगे की जामा मस्जिद कब, क्यों और कैसे बनी.
जामा मस्जिद एक ऐसी इमारत है जिसमे लोग देश विदेश से घूमने के लिए आते हैं. ये एक बहुत ही एतिहासिक मस्जिद है शायद ही कोई होगा जो इसका नाम नहीं जानता होगा। में खुद इस समय जामा मस्जिद में बैठा हुआ और इसके बारे में पूरी Research करके ये जानकारी आप लोगों तक पंहुचा रहा हूँ.
जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक मस्जिद मानी जाती है. जामा मस्जिद Red Fort (लाल क़िला) के Just सामने बनी हुई है.
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जामा मस्जिद कब बनी ( When Did Jama Masjid Become
जामा मस्जिद जो बनाने की शुरुआत 1650 में की गयी थी और इसको पूरा बनाने में पूरे 6 साल लगे थे मतलब 1656 में ये मस्जिद बनकर तैयार हो गयी थी. जामा मस्जिद का निर्माण शाहजहां ने शुरू करवाया था. इस मस्जिद को संगमरमर के लाल पत्थरों से बनाया गया है. इसको बनाने में 10 लाख का खर्चा आया था.
संगमरमर से बनी इस मस्जिद में उत्तर और दक्षिड़ द्वारों से प्रवेश किया जाता है.इसका पूर्वी द्वार सिर्फ शुक्रवार को खुलता है बताया जाता है की इस द्वार से जामा मस्जिद के निर्माता शाह जहाँ प्रवेश करते थे.
जामा मस्जिद का प्राथना गृह बहुत ही शानदार है इसमें ग्यारह मेहराब बने हुए हैं जिनके बीच वाला मेहराब सबसे बड़ा है और इसके ऊपर जो गुम्बद बने हुए हैं उनको काले और सफ़ेद रंग के संगमरमर से सजाया गया है. जामा मस्जिद को देखकर निजामुद्दीन दरगाह की याद आती है.
जामा मस्जिद क्यों और कैसे बनी और इसको किसने बनाया ( How Jama Majid Was Built )
उस समय भारत पर मुग़ल बादशाह शाह जहाँ का दौर था तोह उन्होंने एक ख्वाब देखा था की उन्हें एक मस्जिद बनानी है तब उन्होंने सब तरफ एक एलान कर दिया की मैंने ख्वाब में एक मस्जिद देखी है और मुझे उस नक़्शे की मस्जिद बनवानी है जो मेरे देखे हुए ख्वाब के जैसी मस्जिद बनाएगा में उसको मुँह माँगा इनाम दूंगा।
जामा मस्जिद का नक्शा तैयार करने के लिए बहुत से बड़े – बड़े इंजीनियर आये लेकिन कोई भी मुग़ल बादशाह शाह जहाँ के ख्वाब में देखी हुई मस्जिद का नक्शा नहीं बना पाया।
बहुत से लोगों ने अपना – अपना दिमाग लगाया लेकिन कोई भी कामयाब नहीं हो पाया कई दिन बीत गए तब उस समय जहाँ पर अब चांदनी चौक है वहां पर एक अल्लाह के वली बैठा करते थे. एक इंजीनियर था जिसको मस्जिद का नक्शा बनवाने के लिए बुलाया गया था वह उन अल्लाह के वली का बहुत बड़ा मुरीद था वह बहुत परेशान था कि किसी तरह मस्जिद का नक्शा तैयार हो जाए.
एक दिन वह इंजीनियर उन अल्लाह के वली के पास गया तोह बाबा ने उसको देखकर पुछा की बेटा इतने परेशान क्यों हो तोह उसने कहा की बाबा बादशाह ने ख्वाब में एक मस्जिद देखी है वह बिलकुल वैसी ही मस्जिद बनवाना चाहता है बहुत से बड़े – बड़े इंजीनियर सभी बादशाह के ख्वाब में देखी हुई मस्जिद का नक्शा बनाने में नाकामयाब हो गए तोह बाबा ने कहा में जानता हूँ की बादशाह कैसी मस्जिद बनवाना चाहता है. बाबा ने अपनी चादर उस इंजीनियर के मुँह पर डाली तोह उसको उस मस्जिद का नक्शा दिख गया. इंजीनियर ने जल्दी – जल्दी उस मस्जिद का नक्शा बनाना शुरू कर दिया फिर वह उस बाबा के पास से चलकर बादशाह के पास पंहुचा और अपना बनाया हुआ नक्शा उनको दिखाया तोह बादशाह ख़ुशी से बोल उठे की हाँ यही मस्जिद है जो मैंने ख्वाब में देखी थी.
बादशाह ने कहा की मस्जिद को बनाने के तैयारी शुरू कर दी जाए लेकिन मस्जिद की बुनियाद वही शख्स रखेगा जिसकी बालिग़ होने से अब तक की तहाज्जुब की नमाज़ क़ज़ा नहीं हुई होगी। सुबह से शाम हो गयी लेकिन ऐसा कोई नहीं मिला तब जाकर बादशाह ने खुद ही अपने कदम आगे बढ़ाये तोह उलामा ने कहा की बादशाह जब ये शर्त रखी है तोह इसको पूरा करेंगे तब बादशाह ने कहा की इंशाअल्लाह बालिग़ होने से अब तक मेरी तहाज्जुब की नमाज़ क़ज़ा नहीं हुई है.
सुबह होते ही बादशाह ने जामा मस्जिद की बुनियाद रखी और जामा मस्जिद को 5000 मजदूरों ने तैयार किया था लगभग 6 साल में ये मस्जिद बनकर तैयार हुई.
ये कुछ Photos जो मैंने खुद क्लिक किये हैं –
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